What is One nation One Election Bill: भारत में “वन नेशन, वन इलेक्शन” (One Nation, One Election) बिल एक ऐसा प्रस्ताव है जो पूरे देश में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने की बात करता है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाना, खर्च को कम करना और विकास कार्यों को प्रभावित होने से रोकना है।
वन नेशन, वन इलेक्शन: क्या है प्रस्ताव?: What is One nation One Election Bill
वन नेशन, वन इलेक्शन का मतलब है कि लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और अन्य चुनाव जैसे नगर पालिका और पंचायत के चुनाव एक ही समय पर हों। वर्तमान में, देश में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं, जिससे सरकारी कामकाज पर प्रभाव पड़ता है।
प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु:
- समान समय: पूरे देश में चुनाव एक ही समय पर होंगे या एक तय समय-सीमा के भीतर होंगे।
- लोकसभा और विधानसभाएं: लोकसभा और सभी 28 राज्यों तथा 8 केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे।
- संविधान संशोधन: संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन की आवश्यकता होगी ताकि लोकसभा और विधानसभाओं का कार्यकाल समान अवधि तक चल सके।
इतिहास: कब टूटा था एकसाथ चुनाव का सिलसिला?
- स्वतंत्रता के बाद, 1951-52 से 1967 तक भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुआ करते थे।
- 1968-69 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह चक्र टूट गया।
- 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर “वन नेशन, वन इलेक्शन” की वकालत शुरू की और इसे विकास कार्यों के लिए जरूरी बताया।
क्यों जरूरी है वन नेशन, वन इलेक्शन?
वन नेशन, वन इलेक्शन प्रस्ताव के कई लाभ बताए गए हैं, जैसे:
- खर्च में कमी: बार-बार चुनाव कराने में सरकारी और निजी स्तर पर भारी खर्च होता है। एक साथ चुनाव से यह खर्च कम होगा।
- विकास कार्यों पर असर: चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकारी योजनाओं पर रोक लग जाती है। एक साथ चुनाव से विकास कार्य निर्बाध रूप से चलेंगे।
- प्रशासनिक कामकाज: चुनावों में सुरक्षा बलों और सरकारी अधिकारियों की तैनाती से सामान्य प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होता है।
- राजनीतिक स्थिरता: बार-बार चुनाव होने से सरकारों पर दबाव रहता है, जिससे दीर्घकालिक योजनाओं में बाधा आती है।
वर्ष | घटना |
---|---|
1951-1967 | लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ हुए। |
1968-69 | कुछ विधानसभाएं समय से पहले भंग हुईं, चक्र टूटा। |
2014 | पीएम मोदी ने फिर प्रस्ताव रखा। |
2018 | विधि आयोग की रिपोर्ट में सुझाव दिए गए। |
2023 | उच्च स्तरीय समिति का गठन हुआ। |
2024 | समिति ने राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपी। |
उच्च स्तरीय समिति: क्या कहती है रिपोर्ट?
2 सितंबर 2023 को सरकार ने इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। इस समिति में कई प्रमुख व्यक्ति शामिल थे, जैसे:
- अमित शाह: गृह मंत्री
- सुभाष कश्यप: पूर्व लोकसभा महासचिव
- हरीश साल्वे: वरिष्ठ अधिवक्ता
रिपोर्ट के मुख्य सुझाव:
- नया चुनाव चक्र: 2029 के बाद से एक ‘निर्धारित तिथि’ तय होगी।
- संविधान संशोधन: 18 संवैधानिक संशोधनों की जरूरत।
- समान मतदाता सूची: चुनाव आयोग के तहत समान मतदाता सूची तैयार करने का प्रस्ताव।
रिपोर्ट के अनुसार, 81% जनता ने इस प्रस्ताव के समर्थन में राय दी।
विपक्ष का विरोध: क्यों हो रही है आलोचना?
कई विपक्षी पार्टियां इस प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि:
- यह प्रस्ताव क्षेत्रीय पार्टियों के लिए नुकसानदायक होगा।
- इससे संघीय ढांचे को कमजोर किया जा सकता है।
- “वन नेशन, वन इलेक्शन” सरकार की जवाबदेही को कम कर देगा।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसे “पूर्व-निर्धारित निष्कर्षों वाली समिति” बताया। वहीं, कपिल सिब्बल ने कहा कि यह प्रस्ताव मोदी सरकार के लिए विनाशकारी साबित होगा।
भविष्य की राह: क्या होगा आगे?
2024 के आम चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 293 सीटें मिलीं, जो 2019 की तुलना में कम है। विपक्षी पार्टियों की संख्या बढ़ने के चलते संविधान में संशोधन के लिए जरूरी 2/3 बहुमत हासिल करना मुश्किल हो गया है।
इसके बावजूद, मोदी सरकार ने 18 सितंबर 2024 को वन नेशन वन इलेक्शन बिल को कैबिनेट में मंजूरी दे दी। इसे आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किए जाने की योजना है।
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निष्कर्ष: What is One nation One Election Bill
“वन नेशन, वन इलेक्शन” भारत के चुनावी परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकता है। यह प्रस्ताव जहां देश की चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, वहीं इसके विरोध में कई सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह प्रस्ताव भविष्य में साकार होगा या सिर्फ एक विचार बनकर रह जाएगा।
आपका क्या विचार है “वन नेशन, वन इलेक्शन” पर? क्या यह भारत के लिए सही कदम है या इसमें सुधार की जरूरत है? अपनी राय जरूर साझा करें।